MP : 3 करोड़ हवाला लूटकांड : डीएसपी पूजा पांडे के फोन कॉल से जांच में बड़ा खुलासा
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हवाला लूटकांड में फोरेंसिक जांच से डीएसपी पूजा पांडे और जीजा के बीच 53 कॉल सामने आए, जिससे संदेह और गहरा गया। 11 पुलिसकर्मियों व दो डीएसपी की संलिप्तता वाले इस हाई-प्रोफाइल लूटकांड की जांच एएसपी अपराध जितेंद्र सिंह की निगरानी में जारी है।
सिवनी/ मध्यप्रदेश पुलिस व्यवस्था को हिलाकर रख देने वाले हवाला लूटकांड में नए खुलासे लगातार सामने आ रहे हैं। दो डीएसपी, एक हवाला कारोबारी और 11 पुलिसकर्मियों की संलिप्तता वाले इस चर्चित मामले में अब फोरेंसिक मोबाइल जांच ने नया मोड़ ला दिया है। निलंबित डीएसपी पूजा पांडे पर शक और गहरा गया है, क्योंकि जांच में सामने आया है कि लूट वाली रात उन्होंने अपने जीजा वीरेंद्र दीक्षित से 53 बार फोन पर बातचीत की थी। यह असामान्य कॉल पैटर्न अब पुलिस जांच का सबसे बड़ा साक्ष्य बनकर उभरा है।
यह पूरा नेटवर्क आरक्षक प्रमोद सोनी से शुरू हुआ, जिसे हवाला कारोबारी के जरिए 3 करोड़ रुपये के बड़े कैश मूवमेंट की जानकारी मिली थी। उसने यह सूचना अपने “गुरु” डीएसपी पंकज मिश्रा को दी, जो पूर्व में ओमती संभाग में सीएसपी रह चुके हैं। पंकज मिश्रा ने तुरंत अपने बैचमेट पूजा पांडे को जानकारी दी, जो उस समय सिवनी में एसडीओपी के पद पर थीं।
इसके बाद तीनों स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से एक बड़ा नेटवर्क तैयार हुआ, पूजा पांडे ने अपने ड्राइवर, गनमैन और सीसी स्टाफ को शामिल किया, जबकि संबंधित थाने से सिर्फ दो पुलिसकर्मी इस ऑपरेशन में लगे।
8-9 अक्टूबर की रात हवाला कारोबारी को रोककर उससे 2 करोड़ 96 लाख 50 हजार रुपये लूट लिए गए। व्यापारियों के विरोध के बाद आधे-आधे में पैसा बांटकर “सेटेलमेंट” की कोशिश हुई, लेकिन मामला छिप नहीं पाया और व्यापारियों ने शिकायत दर्ज करा दी। बाद में हवाला कारोबारी पर भी कार्रवाई की गई।
इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (अपराध) जितेंद्र सिंह की टीम कर रही है। वहीं, जबलपुर जोन के आईजी प्रमोद वर्मा इस मामले में बेहद सख्त रुख अपनाए हुए हैं और लगातार जांच की समीक्षा कर रहे हैं।
अब मोबाइल फोरेंसिक जांच से सामने आए 53 कॉल पूरे केस में डीएसपी पूजा पांडे और उनके जीजा की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ और अधिकारी व स्थानीय संपर्क जल्द ही जांच के घेरे में आ सकते हैं।
इस लूटकांड में अब तक दो डीएसपी और कई पुलिसकर्मी जेल जा चुके हैं, जबकि कुछ और नाम पुलिस की नजर में हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होंगी। यह मामला न केवल पुलिस की छवि पर भारी कलंक है, बल्कि यह भी बताता है कि सिस्टम के भीतर गिरोहबंदी किस स्तर तक जा चुकी है।